पूरी उम्र गरीबी में बिताने के बाद एक दिन आपको पता चले कि आप 100 करोड रुपए से भी ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं तो आपका क्या रिएक्शन होगा, हम बताते है कि आप का क्या रिएक्शन होगा आप का मुह खुला का खुला रह जायेगा आँखे खुली की खुली रह जाएगी और आप का दिमांग हिल जायेगा। ऐसा होना तो लाज़मी है क्योंकि सारी उम्र जिस पैसे के लिए भागते रहे और अंत में पता चले कि जितना हम सारी उम्र में नहीं कमा पाये उससे कई गुना के हम तो मालिक हैं तो दिमाग का हिल जाना स्वाभाविक है ऐसा होना तो शायद आपने फिल्मों में या फिर कहानियों में ही सुना होगा परंतु आज हम आपको इस बारे में बताना चाहते हैं वह एकदम रियल घटना है तो इसे लेख को अंत तक पढ़े।
छोटे से गांव के संजू देवी मीणा
जी हां आज हम जिस शक्स की बात करने जा रहे हैं उनका नाम है संजू देवी मीणा जी हां यह एक महिला है छोटे से गांव में रहने वाली या महिला दूध बेचकर और खेती कर के अपने बच्चों को पालती है
कि संजू देवी 100 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन है ?
यह राजस्थान के छोटे से गांव दीपावास की ढाणी की रहने वाली हैं यह गांव नीमकाथाना की पहाड़ियों के बीच स्थित है सब कुछ बढ़िया चल रहा था एक दिन अचानक आयकर विभाग की टीम संजू देवी के घर पहुंची और उनसे इस 100 करोड़ की संपत्ति के बारे में पूछताछ की गई तब इस बात की जानकारी संजू देवी को पता चली कि उनके नाम पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है यह सुनते ही उनके होश उड़ गए पूरे गांव में हका हो गयाकि संजू देवी 100 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन है
खेल भू माफियाओं का
दरसल इस कांड की पूरी सच्चाई कुछ और ही है यह पूरा खेल भू माफियाओं द्वारा रचाया गया था, भू माफिया अपने स्वार्थ के लिए छोटे लोग, गरीब, आदिवासी, लोगों का इस तरह के काम के लिए इस्तेमाल करते हैं उसी तरह संजू देवी का भी माफियाओं द्वारा इस्तेमाल किया गया
100 की सम्पति को मात्र 12 करोड़ मे खरीदा ?
यह सारा खेल मुंबई की एक कंपनी हेजलनट कंस्ट्रक्शन जो की हिरानदानी ग्रुप की कम्पनी के द्वारा खेला गया, जिसका हाल ही में करो बेनामी संपत्ति का खेल उजागर किया गया आयकर विभाग द्वारा हालांकि इस कंपनी द्वारा साल 2006 मे संजू देवी के नाम पर विक्रय पत्रों के माध्यम से खरीदी गई करीब 6 गांवों में कूकस, खोरामीणा, हरवर, ढन्ड, नांगल तुर्कान और राजपुर खान्या गांवों 64 बीघा की जमीन खरीदी गई इसकी मौजूदा कीमत 100 करोड़ के आसपास आंकी गई है और यह जमीन जो की जयपुर दिल्ली हाईवे के पास में खरीदी गई थी 100 करोड़ की इस संपत्ति को इस कंपनी ने मात्र 12 से 13 करोड़ के बीच में जो है खरीदी थी संपत्ति तो संजू देवी मीणा जी के नाम पर खरीदी गई थी लेकिन पावर ऑफ अटॉर्नी मुंबई के ही एक व्यक्ति चंद्रकांत तारानाथ मालवंकर जी के नाम पर खरीदी से पहले ही करा ली गई थी
अंगूठे के निशान
आयकर विभाग द्वारा संजू देवी से जब इस बारे में पूछताछ की गई तो उसने कहा कि साहब मैं तो अनपढ़ हूं मुझे पढ़ना लिखना नहीं आता, मेरे पति और फूफा ससुर जो की मुंबई में काम करते थे एक दिन दोनों जमीन खरीदने का कहकर मुझे साथ लेकर गए और साथ में मुंबई के भी कुछ लोग आए थे वही मुझसे कागज पर जो है अंगूठे के निशान लगवा लिए थे। करीब 10 वर्ष पूर्व मेरे पति का है देहांत हो गया उसके बाद हर महीने ₹5000 डाक द्वारा भेजे जाने लगे फिर उसके बाद मे खाते में भेजे जाने लगे लेकिन 3 वर्षों से कोई भी पैसा जो है नहीं भेजा जा रहा है संजू देवी को जो भी पता था उसमें आयकर विभाग को सारी जानकारी दे दी। संजू देवी मीणा जी के दो व तीन बच्चे हैं द लड़कियां एक लड़का जिनका पालन पोषण वह दूध बेचकर और खेती करके करती हैं जीवन में इस तरह की घटनाएं हर किसी के साथ तो नहीं घटती परंतु जिसके साथ भी घटती हैं वह जरा अचंभित जरूर हो जाता है